अजाने जाने का अभिनय चला था नियम से, चलेगा आगे भी, जन जन इसे जान कर ही करेंगे भावों का विनिमय, नहीं और पथ है; लड़ाई आत्मा को कुचल कर ही शक्ति प्रद हो।
हिंदी समय में त्रिलोचन की रचनाएँ